Inspirational Hindi Story With Moral
सच में ! बच्चे होते ही बहुत प्यारे हैं। बच्चो में एक आदत होती है कि वह जो भी चीज देखते हैं, उसे अपने मुँह में रख लेते हैं। इसके अलावा उन्हें जो भी चीज खाने की अच्छी लगती है, उसे बार-बार मांगते हैं और खाते हैं।
बच्चों की यह नटखट हरकतें कभी तो हमें बहुत हंसाती हैं तो कभी हमें परेशान भी कर देती है। ऐसी स्थिति में हमें बच्चों को समझाना पड़ता है।
ऐसे ही बालकों में से एक बच्चा जिसका नाम गोलू था, बहुत ही नटखट था और उसे चीनी खाने का बहुत शौक था। जब भी वह चीनी मांगता था तब उसकी माँ उसे एक कटोरी में थोड़ी सी चीनी दे देती थी।
एक बार गोलू ने अपनी माँ को कांच के एक सुन्दर से जार में से चीनी निकालते देख लिया। अब तो गोलू का मन करने लगा कि वह उस जार में से ही चीनी निकालकर खायेगा।
वह तुरंत जार के पास गया और जार के अंदर हाथ डाल दिया। चीनी को उसने अपनी मुट्ठी में भर लिया। जार का मुँह छोटा था जिसके कारण गोलू अपने हाथ को अब जार से बाहर नहीं निकाल पा रहा था।
गोलू का हाथ जार से बाहर नहीं निकल पा रहा था फिर भी गोलू चीनी से भरी मुट्ठी को खोलने को तैयार नहीं था। गोलू ने बहुत कोशिश की लेकिन उसका हाथ जार से बाहर नहीं निकला तो उसने रोना शुरू कर दिया लेकिन मुट्ठी नहीं खोली।
दूर खड़ी उसकी माँ यह सब नजारा देख रही थीं। उन्होंने गोलू की परेशानी को जान लिया और पास जाकर गोलू से कहा, “बेटा ! इतनी लालच नहीं करते हैं। तुमने अपनी मुट्ठी में इतनी ज्यादा चीनी भर रखी है कि हाथ जार से बाहर नहीं निकल पा रहा है। तुम एक बार में इससे आधी चीनी निकाल लो तो तुम्हारा हाथ बाहर निकल आएगा। यदि तुम चाहो तो जार में दूसरी बार हाथ डालकर दोबारा फिर उतनी ही चीनी निकाल सकते हो।”
गोलू ने तुरंत अपनी माँ की बात मान ली और उसका हाथ जार से बाहर निकल आया। अब गोलू बहुत खुश था।
इस कहानी से आपने क्या सीखा?
Moral Of This Story In Hindi
दोस्तों ! गोलू तो बच्चा था लेकिन हम लोग भी अक्सर ऐसी गलतियां करते रहते हैं। गोलू की इस नटखट हरकत से हमें बहुत कुछ सीखने को मिलता है—
जीवन में हमें कोई भी वस्तु उतनी ही लेनी चाहिए जितना हम एक बार में संभाल सकते हैं। ज्यादा वस्तुओं को एक बार में ही इकट्ठा करके हमारी भी स्थिति गोलू जैसी हो सकती है।
कुछ लोग अपने घर में इतनी ज्यादा वस्तुएं एकत्रित कर लेते हैं कि उन्हें बाद में परेशानी का सामना करना पड़ता है। कहने का मतलब यह है कि जीवन में हमें उतने ही पैर फ़ैलाने चाहिए जितनी हमारी चादर होती है।
Life में लोग बहुत से कार्य एक साथ करना चाहते हैं और बाद में एक भी कार्य सही से पूरा नहीं होने के कारण गोलू की तरह रोते हैं। उदहारण के लिए, हमारे आजकल के युवा अपना Career बनाने के लिए और जल्दी ही कोई अच्छी Job पाने के लिए कई Courses में एक साथ Admission ले लेते हैं।
नतीजा यह होता है कि वह कोई भी कोर्स सही से नहीं कर पाते और Unsuccessful हो जाते हैं। यदि वह कोई एक कोर्स पूरा करने के बाद दूसरा कोर्स करते तो अपना 100 % Concentration एक ही कोर्स पर दे पाते और Success हो जाते।
इसी तरह बहुत से लोग एक साथ कई Business शुरू कर लेते हैं जबकि उनमे उन्हें संभालने का न तो साहस होता है और न ही अनुभव होता है।
मेरा यहाँ यह कहने का मतलब नहीं है कि कई कार्य, कोर्स या बिज़नेस आदि एक साथ न करें। आप केवल उतने कार्य कीजिये जितने आप संभाल सकें। अब यदि आप कई कार्य एक साथ संभालने की Ability रखते हैं तो जरूर करें लेकिन यदि नहीं रखते हैं तो कई कार्य एक साथ न करें।
कोई भी व्यक्ति कई कार्य एक साथ कर सकता है लेकिन उसके लिए उस व्यक्ति को अपने अंदर उस सभी कार्यों को एक साथ करने की योग्यता Develop करनी होगी। हमें उतने कार्यों को एक साथ करना चाहिए जितना हम एक बार में संभाल सकते हैं।
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