कैंची नहीं सुई बनें | Hindi Story On Positive Attitude

Motivational Hindi Story On Positive Attitude

Best Hindi Story On Positive Attitude : एक बार सुई (Needle) और कैंची (Scissor) में लड़ाई हो गयी। लड़ाई इस बात को लेकर थी कि दोनों में से श्रेष्ठ कौन है? (Who is the Best?)

सुई कह रही थी कि मैं श्रेष्ठ हूँ (I am the Best) और कैंची खुद को श्रेष्ठ (Best) बता रही थी। पास में खड़ा हुआ धागा (Thread) दोनों की बातें सुन रहा था।

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Hindi Story on Positive Attitude

समस्या का हल (Problem solving) न होने पर कैंची ने धागे कहा, “मैं काटने का काम करती हूँ, चाहे कपड़ा (Clothes) हो या कागज (Paper) या कुछ और, मैं उसे बड़ी आसानी से काट (Cutting) देती हूँ।

यदि मैं न रहूं तो यह काम (Work) कौन करेगा। सुई मुझसे बहुत छोटी है, मुझमे लगी धातु (Metal) का यदि प्रयोग किया जाये तो बहुत सी सुई बनेंगी। अब तुम ही बताओ मैं श्रेष्ठ हूँ या सुई?”

धागे के उत्तर देने से पहले ही सुई ने धागे से कहा, “धागा जी ! तुम तो मेरे सबसे अच्छे दोस्त ( Best friend) हो, हमेशा मेरे साथ रहते हो, तुम तो जानते हो कि मैं जोड़ने का काम करती हूँ, चाहे कपड़ा हो या कागज या कुछ और, मैं उसे तुम्हारी सहायता (Help) से बड़ी आसानी से जोड़ देती हूँ। यदि मैं न रहूं तो यह काम कौन करेगा।

कैंची मुझसे बड़ी है फिर भी वह अपने से छोटों को नीचा दिखाना (Degrade little ones) चाहती है और उसका कोई दोस्त भी नहीं है। अब तुम ही बताओ कि श्रेष्ठ कौन है? (Who is the Best?)”

धागा बड़ी सोच में पड़ गया कि किसको श्रेष्ठ कहूँ? तभी धागे को एक तरकीब सूझी। वह दोनों को कपड़ा और कागज के पास ले गया और उनसे बोला, “आप लोग ही बताइये कि सुई और कैंची में श्रेष्ठ कौन है?

कपड़ा और कागज ने आपस में बातचीत की और फिर बोले, “हमारा जो अनुभव (Experience) सुई और कैंची के साथ रहा है और हमने जिस तरह की इनकी आदतों (Habits) को देखा है, उसके हिसाब से सुई श्रेष्ठ है।

धागा बोला, “वह कैसे? सुई ही श्रेष्ठ क्यों है?”

तब कपडा बोला, “इस दुनिया में कैंची काटने का यानि तोड़ने (Breaking) का काम करती है जबकि सुई सिलने यानि जोड़ने (Adding) का काम करती है और जोड़ने वाला तोड़ने वाले से अधिक श्रेष्ठ (More Best) होता है।”

दोस्तों! कपड़े ने बहुत अच्छा (Very good) और सही उत्तर (Right answer) दिया। इस दुनिया में भी दो तरीके के लोग (Two kinds of people) पाये जाते है।

एक प्रकार के लोग कैंची जैसे आदतों के होते है जो लोगों (People) और समाज (Society) को हमेशा तोड़ने (Break) का कार्य करते हैं और दूसरे प्रकार के लोग सुई जैसी आदतों के होते है जो हमेशा लोगों और समाज को जोड़ने का कार्य करते हैं।

Moral Of This Great Hindi Story

आइये इस प्रेरक कहानी में मैं आपको कैंची जैसी आदतों और सुई जैसी आदतों वाले लोगों के बारे में कुछ बताता हूँ ताकि आप इन लोगों को आसानी से पहचान सकें—-

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सुई आकार में बहुत छोटी होती है लेकिन उसकी शक्ति बहुत बड़ी (Very big power) होती है। वह बड़े से बड़े कपड़े को आपस में जोड़ देती है।

संसार में जितने भी कपड़े हैं, जिसकी आप कल्पना (Imagination) भी नहीं कर सकते, उन सबको सुई ने ही जोड़ा है जबकि कैंची ने दुनिया में अब तक जितने कपड़ों को काटा है, उसकी भी आप कल्पना (Imagination) नहीं कर सकते।

इसी प्रकार तोड़ने की आदत वाले लोगों ने हमारे समाज (Society) को जितना तोड़ा है उसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती लेकिन सुई जैसी आदत वाले लोगों ने हमेशा उस समाज को जोड़ने का कार्य किया है।

कैची के काटे हुए को आज तक सुई ने ही तो सिला है। कैंची वाली आदत वाले लोग हमेशा तोड़ने की योजनाएं (Negative and Bad Plans) बनाते रहते हैं, ऐसा व्यक्ति जहाँ भी जाता है वह लोगों के संबंधों (Relations) को तोड़ता है।

वह लोगों के बीच दीवारें (Wall) खड़ी कराता है और ऐसी बातें कहता है कि जो किसी में भी मतभेद (Dispute and Division) पैदा करवा दे।

जबकि सुई जैसी आदत वाला हमेशा जोड़ने के बारे में सोचता (Think positive)  है, संबंधों को जोड़ता है, लोगों के बीच खड़ी दीवारों को हटाता है और जब भी बोलता है तो मतभेद अपनेआप समाप्त हो जाते हैं।

कैंची जैसी आदत वाले लोग Negative thinking वाले होते हैं, लोगों में Failure होने की Negative feeling पैदा करते हैं। ऐसे लोग Rude और Angry nature के होते हैं, अच्छे लोगों से Jealousy की भावना रखते हैं, Possible को हमेशा Impossible बनाते रहते हैं।

जबकि सुई जैसी आदत वाले लोग Positive thinking रखते हैं,  लोगों  में Success की Positive feeling को पैदा करते हैं।

यह लोग Motivation और Inspiration का भी काम करते हैं, लोग  इनकी बातों से Motivate और Inspire हो जाते हैं, यह जहाँ भी जाते है लोग खुश (Be happy) हो जाते हैं। ऐसे लोग Positive attitude रखते हैं।

W.Clement Stone ने ठीक ही कहा है–

“लोगों में छोटा सा ही अंतर होता है लेकिन वह छोटा सा अंतर बड़े अंतर डालता है। वह छोटा अंतर दृष्टिकोण का होता है। बड़ा अंतर यह होता है कि वह सकारात्मक है या नकारात्मक।”

तो दोस्तों ! आप कैसा बनना चाहते हैं? कैंची जैसा? या सुई जैसा?

संसार में इस समय सुइयों की बहुत जरूरत है। इसीलिए “Be positive and Think positive” और यही Positive Message सभी को अपने Positive Behavior के द्वारा लोगों को दीजिये।

आप इस संसार के लिए सुई वाली आदत का बनकर बहुत कुछ अच्छा कर सकते हैं। आप अकेले नहीं हैं। आपसे प्रेरित होकर और भी लोग आपकी इस पॉजिटिव ऐटिटूड आदत को अपना लेंगे।

लोगों को Positive life और Success के बारे में बताइये, उन्हें Motivate कीजिये। आपकी जरूरत इस समस्त संसार (All world) को है। कृपया सुई जैसा बनिए।

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5 thoughts on “कैंची नहीं सुई बनें | Hindi Story On Positive Attitude”

  1. सुन्दर रचना ………. बधाई | मेरे ब्लॉग पर आपके आगमन की प्रतीक्षा है

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